नवग्रहों की शांति के सटीक उपाय

सौर मण्डल के ग्रहों का सभी प्राणियों पर राशि चक्र के अनुसार अच्छा बुरा प्रभाव निरंतर पड़ता रहता है। जन्म लग्न, दशा महादशा, अंतर्दशा तथा प्रत्यंतरों का प्रभाव अवश्य फल दिखाता है। नाम राशि के अनुसार भी गोचर के ग्रह अपना प्रभाव दैनन्दिनी के अनुसार दिखाते हैं। लग्न, जन्मराशि तथा नाम राशि से चौथे, आठवें, बारहवें स्थान की स्थिति का प्रभाव सभी पर पड़ता है। प्रधानतः नो ग्रहों के दुष्प्रभाव को शांत करने के लिए क्रमशः कुछ उपाय निर्देशित कर रहे हैं कृपया इनका लाभ सभी सज्जनवृन्द उठायेंगे।

सूर्य को प्रसन्न करने लिए शिक्षित लोगों को आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। माता-पिता की सेवा तथा सूर्य को अर्घ, जल में रोली तथा लाल पुष्प डालकर देना चाहिए। सोना-तांबा तथा चीनी-गुड़ का दान भी करें सूर्योदय से पूर्व उठें तथा रविवार का व्रत करें। नमक का परहेज करें बुजुर्गों का सम्मान करें तथा उनकी परंपरा को सम्मानपूर्वक निभाएं।

चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए भगवान चंद्रमोजिशिव का ”ऊँ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें। पानी वाला नारियल, सफेद चंदन तथा चांदी का चंद्रमा, विल्बपत्र, सफेद मिष्ठान का भगवान शंकर को भोग लगावें। सोमवार का व्रत करें तथा सफेद वस्त्र का दान करें, पहाड़ों की यात्रा करें तथा माता के चरणछूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।

मंगल की प्रसन्नार्थ श्रीहनुमान भगवान को चमेली का तेल सिंदूर, शुद्ध घी में चोला चढ़ाएं तथा मंगल स्तोत्र का पाठ करें, इमरती, जलेवी बूंदी तथा चूरमे का प्रसाद अर्पण करें। भाइयों के समक्ष छवि ठीक रखें। मंगलवार का व्रत करें। पड़ोसियों, मित्रों तथा साथ में काम करने वालो से अच्छा व्यवहार रखें।

बुध ग्रह की प्रसन्नता के लिए भगवती दुर्गा की पूजार्चना करनी चाहिए। किन्नरों की सेवा करनी चाहिए। हरे मूंग भिगोकर पक्षियों को दाना डालें। पालक या हरा चारा गायों को खिलाएं। पक्षियों विशेष कर तोतों को पिजरों से स्वतंत्रता दिलावें। नौ वर्ष से छोटी कन्याओं के पद प्रक्षालन अर्थात पैर धोकर उनको प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त करें। बुधवार का व्रत रखें, मां भगवती दुर्गा का पूजार्चन करें। मंत्रानुष्ठान ह्वन करके बुध की अनुकंपा प्राप्त करें। बृहस्पति देव गुरु की प्रसन्नता के लिए ब्राह्मणों का सम्मान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। चने की दाल तथा केशर का मंदिर में दान करें, केशर का तिलक मस्तक पर लगाएं एवं ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों का योग्य व्यक्तियों को दान करें। भगवान ब्रह्मा का केले से पूजन करें तथा कुल पुरोहित का सम्मान करके आशीर्वाद प्राप्त करें एवं यथा शक्ति स्वर्ण का दान करें

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