वृक्षों का ज्योतिषीय महत्व

फल और फूल तो सभी के उपयोग में आते ही हैं, पर इनकी छाल, तना, जड़ तक उपयोग में आते हैं, जहां तक कि इनको श्रद्धापूर्वक नमन करने मात्र से जीवन की विभिन्न कठिनाईयां सुगमता से दूर हो जाती है, और विधि विधान से पूजा करने पर तो मनोकामनाएं भी सिद्ध हो जाती है फिर क्यों नहीं हम इनसे अपने आपको जोड़ते हैं, कुछ वृक्षों से सभी के जीवन की उभय परेशानियां का हल नीचे उल्लेखित करता हूं, जिससे पाठकों का जीवन तो सहज होगा ही साथ में उन्हें पुण्य लाभ की भी प्राप्ति होगी। वृक्ष जीवन के हर मोड़ पर मनुष्य का साथ देते हैं, पर क्या हर मनुष्य वृक्षों के बारे में किसी भी मोड़ पर सोचता है? वनस्पति में प्रभू की क्या लीला समाहित हें अभी तक समझ से परे हैं, पर हमारे ऋषि मुनियों ने इनके कुछ दिव्य गुणों का अनुभव किया है। इन उपायों में साधक की पूर्ण श्रद्धा, भक्ति और विश्वास का होना परम आवश्यक है। यदि कन्या के विवाह में विलंब हो रहा हो या उत्तम योग्य वर की प्राप्ति नहीं हो पा रही हो और जिनकी जन्म कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12 भाव में मंगल शनि या राहु स्थित हो, उन्हें कन्या के द्वारा विष्णु मंदिर में बृहस्पतिवार के दिन आंवले और पीपल वृक्ष का रोपड़ कर 21 दिन तक वृक्ष के समीप दीपक प्रज्ज्वलित करें तो निश्चित रूप से सुयोग्य वर की शीघ्र प्राप्ति के योग बनते हैं। पति-पत्नी में तनाव की परम सीमा विवाद से होती हुई तलाक तक पहुंच जाती हैं। कई बारे ऐसी स्थिति में तंत्र शास्त्र व ज्योतिष में भी कारण पकड़ से बाहर लगता है, तनाव की स्थिति सुख, शांति को खत्म कर तलाक तक की स्थिति निर्मित हो जाती है। इसके निवारण के लिये पति-पत्नी को संयुक्त रूप से शिव मंदिर में पीपल और बरगद वृक्ष का रोपड़ सोमवार के दिन करने पर आपसी मतभेद समाप्त होकर आपसी प्रेम व सामंजस्य बनता है। व्यापार में हो रही लगातार हानि को दूर करने, लक्ष्मी देवी व कुबेर देव को प्रसन्न करने के लिये सीताफल और अशोक के वृक्ष को शुक्रवार के दिन देवी मंदिर में लगावें। निश्चित रूप से व्यापार में निरंतर वृद्धि के योग बनेंगे। यदि किसी घर में व्यक्ति को

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