सिद्ध वशीकरण मन्त्र

१॰ “बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी। आगू म राखौं सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।”
विधि- उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में १०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर १०८ बार मन्त्र जपे।
मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक इच्छित व्यक्ति के सामने हो।

वशीकरण, सम्मोहन व आकर्षण हेतु “उर्वशी-यन्त्र” साधना

इस यन्त्र को चमेली की लकड़ी की कलम से, भोजपत्र पर कुंकुम या कस्तुरी की स्याही से निर्माण करे।इस यन्त्र की साधना पूर्णिमा की रात्री से करें। रात्री में स्नानादि से पवित्र होकर एकान्त कमरे में आम की लकड़ी के पट्टे पर सफेद वस्त्र बिछावें, स्वयं भी सफेद वस्त्र धारण करें, सफेद आसन पर ही यन्त्र निर्माण व पूजन करने हेतु बैठें। पट्टे पर यन्त्र रखकर धूप-दीपादि से पूजन करें। सफेद पुष्प चढ़ाये। फिर पाँच माला “ॐ सं सौन्दर्योत्तमायै नमः।” नित्य पाँच रात्रि करें। पांचवे दिन रात्री में एक माला देशी घी व सफेद चन्दन के चूरे से हवन करें। हवन में आम की लकड़ी व चमेली की लकड़ी का प्रयोग करें।

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